ए हवा,जरा गौर से देख ले


ए हवा, तु आहिस्ता चल, दुप्पटा सरक रहा है,
शर्मोशार यह चहेरा देख ले कैसा चमक रहा है,

तु पत्तो को उडा जाती, खुश्बु को भी फैला जाती,
तेरे आगमन से ये पूरा बाग कैसा महक रहा है,

तु छू के नीकल गयी गुलाबी गालो को शान से,
उन गालो से देख ले कैसा गुलाल टपक रहा है,

उन गेसूओ को जब लहेराया तूने भरी दूपहेरको,
मीला छावा, ये चहरे पर कैसा नूर जलक रहा है,

ए हवा, चूम के नीकल चली उन हॉठो को नजाकत से,
जरा गौर से देख ले रोम रोम कैसा बहक रहा है ।

नीशीत जोशी 31.05.12

सजना


यह कैसी तेरी रीत है सजना,
हर बाझी तेरी जीत है सजना,

तीरछी नजर से डालते हो डोरे,
यह भी अनोखी प्रीत है सजना,

सताने वास्ते बजाते हो बांसुरी,
हर तेरी फूंक बने गीत है सजना

पनघट आने से लगने लगे ठंड,
दिल की कैसी ये सीत है सजना,

बार बार ये दिल तुजको ही चाहे,
तुजसे ही खुश मेरा चीत है सजना ।

नीशीत जोशी 29.05.12

आखिर कब तलक


आज इस शाख से वो हवा को गुजरना होगा,
इन सुके पत्तो को वही रहके ही सवरना होगा,

कहा था उसने कोई ख्वाईश ना करना हमसे,
अपनी गुजारीश के संग आज बीखरना होगा,

दिये है जो झख्म अब गीने नही जाते हमसे,
आज इन घावो को भी यहां अब उभरना होगा,

आयना सामने रहते हुए भी शरमीन्दा है हम,
आज उस शक्स के लिये फिर नीखरना होगा,

आखिर कब तलक ठोकरो पे जीन्दा रहेंगे हम,
एक बार तो ईबादत के लिये भी मुकरना होगा ।

नीशीत जोशी 28.05.12

ये सूरज भी


वो रुसवाई का दर्द अब खलता है,
अश्क आंखो में भी अब जलता है,

कितने वफा-जफा के तूफां के बाद,
अपना कोई बहोत खास बनता है,

भेजा फरमान यादो में न आने का,
जज्बात कहां ऐसे काबू में रहता है,

मोहब्बत के आसार होते है ऐसे भी,
आशिक शोलो पे प्यार से चलता है,

चांद को चांदनी से मीलाने के वास्ते,
ये सूरज भी रोज शाम को ढलता है ।

नीशीत जोशी 27.05.12

તુજનો પ્રેમ


પિયુ, તુજનો પ્રેમ મુજને સતાવે છે,
આ મહેદીં નો રંગ પ્રેમ બતાવે છે,

તુજ કાજ લાવી ફુલોની પાંખડીઓ,
હ્રદયની ઉર્મીઓ ધડકન નચાવે છે,

તુજના સમણાં સેવતી નિહાળુ પથ,
આ સમીર મુજને પંપાળી હસાવે છે,

ન ભાળતા તુજને નમ થાય આંખો,
તુજનો અહેસાસ રડવાથી બચાવે છે,

સોળે શ્રિંગાર કરી તૈયાર છું આજ તો,
આટ આટલો ઇન્તજાર શાને કરાવે છે,

માની જવાની શર્તે રિસાય પણ જઇશ,
વિના તુજ રીસાયેલાને કોણ મનાવે છે?

નીશીત જોશી 26.05.12

क्युं है?


कोइ इतना हमे सताता क्युं है?
ना कह कर भी चाहता क्युं है?

नही रख सकते जज्बात पे काबु,
बेफिझूल बाते को बताता क्युं है?

समंन्दर मीला तब नहाये नही,
अब चुल्लु भर के नहाता क्युं है?

वफा कर के भी बेवफा कहलाये,
तौफे में मीले आंसु बहाता क्युं है?

मोहब्बत की है तो जुदाइ भी होगी,
बार बार यह आलम जताता क्युं है?

नीशीत जोशी 25.05.12

ચાલ પાછા આજે


ચાલ પાછા આજે છુપાછુપી રમી લઇએ,
એકબીજા ને એકબીજા માં કળી લઇએ,

તું શોધ મુજને હું શોધુ તુજને આજ અહી,
ચાલ આજ પ્રેમ દરિયા માં તરી લઇએ,

ક્ષતિજે મળવા નીકળ્યા છે ધરા ‘ને નભ,
ચાલ પહેલા આજ આપણે મળી લઇએ,

પ્રેમની કિતાબે આપણુ પણ હશે પ્રકરણ,
ચાલ ફરી આપણુ પ્રકરણ ભણી લઇએ,

પ્રેમમાં આવુ મળ્યાને વર્ષો ગયા છે વિતી,
ચાલ સમણાં ને ફરી વર્તમાન કરી લઇએ.

નીશીત જોશી 24.05.12

चले गये


किसने बात उडायी हम दफन हो गये ?
हम तो आज भी जीन्दा है दिल-ए-कूचा में उनके !!!!!!
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रुकसत पे मेरी आंसू बहाके चले गये,
जज्बात अपने बखुबी सुनाके चले गये,

ता-उम्र हमसफर बनने की ख्वाईश थी,
हो गये है किसी और के बताके चले गये,

जी लेते उनकी खामोशीओ के साथ भी,
मोहब्बत को सरेआम जताके चले गये,

चूपचाप आये शहर-ए-खामोशा में जब,
कब्र पे रखके फूल हमे रुलाके चले गये,

मीला हो सुकून शायद कफन को चूमके,
सोयी हुयी इस लाश को जगाके चले गये ।

नीशीत जोशी 23.05.12

શોધુ છું


આ મહેંદી માં મુજ નામ શોધુ છું,
મુજને આપેલુ તે ઇનામ શોધુ છું,

રંગ તો ચડતો ચડી જશે આ હાથે,
તુજ હ્રદય માં બસ મુકામ શોધુ છું,

તરસ્યો રાખ્યો છે હજુ પણ જો ને,
બસ તુજ નયન નો જામ શોધુ છું,

શાને મુકુ?છો ને હોય રાહ પથરાળો,
તુજ પડછાયો ત્યાં સરેઆમ શોધુ છું,

નકામા થયાની મુજ ચર્ચાય વાતો,
તુજ સંગાથ પામવાનુ કામ શોધુ છું,

બદનામ કરે છે લોકો રખડુ કહી કહી,
તેઓ શું જાણે હું તુજનુ ગામ શોધુ છું.

નીશીત જોશી 22.05.12

करते है

चलो नयी जीन्दगी का आघाझ करते है,
पुरानी बिती हुयी को हम बाझ करते है,

चीलमन महकाके बनायें नया आशीयाना,
लो इसबार कोइ नया ही अंदाज करते है,

वादा करके भी जरुरत ना की कभी पुरी,
हर बात को तो वो नजर-अंदाज करते है,

मुद्दतो से साथ नीभाते रहे है उसका हम,
हम उसकी पुरी हर इह्तियाज करते है,

सीतम ढानेकी आदत पाल रखी है उसने,
चलो आज सीतमगर का इलाज करते है,

चलो ना,जलाते है उसके दिल में सिराज,
अंधेरोके डर से उजालो पे मिजाज करते है,

क्या कहें उसे जो औरत को समजे खीलौना?
उपरवाला भी कैसे पुरुष को सर्ताज करते है !!!

नीशीत जोशी 21.05.12
आघाझ=beginning,इह्तियाज=need,सिराज=lamp, candle 21.05.12